रविवार, 21 फ़रवरी 2016

हाउ कम इण्डिया!!

मेरे ऑफिस में मेरी डेस्क के अगल बगल एक चीनी और एक अमेरिकी है, चीन का प्राणी जब मौका मिलता है तक अमेरिका को कोस लेता है और अमेरिका वाला तटस्थ रहकर शांत रहता है। मैं भी तटस्थ ही रहता हूँ क्योंकि ऑफिस में क्या ही बोलना। एक बात पर इन दोनों की सहमति है और वह है फुटबॉल, दोनों का जूनून एक सा ही है। दोनों इंग्लिश प्रिमीयर लीग और अमेरिकी नेशनल फुटबॉल लीग बहुत मजे से देखते हैं और ऑफिस के टीवी पर सीएनबीसी की जगह फुटबॉल लगा लेते हैं।

इनके इस शौक में मैं भी मजे ले लेता हूँ क्योंकि थोड़ा बहुत ही सही फुटबॉल का शौक तो मुझे भी है ही। मेरे पापा फुटबॉल के अपने ज़माने के मशहूर खिलाड़ी थे और मौका न मिलने और कोई भी गाइडेंस न होने के कारण और सत्तर के दशक के उथल पुथल में बिहार में ज्यादा कुछ कर नहीं पाये। मैं आज भी फुटबॉल फॉलो करता हूँ लेकिन जूनून जैसा कुछ नहीं। बहरहाल यह दोनों प्राणी खूब मौज से फुटबॉल का मजा लेते रहे, इनसे गलती तब हो गयी जब इन्होंने कहा कि "एनएफएल इस रिचेस्ट बोर्ड"। मैंने कहा भाइयों एक बार गूगल करके तो देखो, फिर बताओ कौन है। दोनों ने गूगल किया और जवाब आया बीसीसीआई, अब इनकी हैरानी। मुझे पूछे यह बीसीसीआई क्या है, हम बोले भारतीय क्रिकेट बोर्ड। इन्होंने बोला लेकिन क्रिकेट देखने और खेलने वाले देश ही कितने हैं, न अमेरिका क्रिकेट खेलता है न चीन। हम बोले गूगल कर लो न, बेचारे थोड़ा सा घबरा गए जब कहीं यह देख लिए की, भारतीय क्रिकेट टीम सबसे महँगी फ्रेंचाइजी है, आईपीएल दूसरा सबसे बड़ा क्लब स्पोर्ट है और बीसीसीआई सबसे अमीर खेल बोर्ड है। उन दोनों का ही रिस्पांस था, "हाउ कम इण्डिया"... हा हा, मुझे बड़ा मजा आया फ़िलहाल..

बहरहाल इसमें गलती इनकी नहीं थी, उन्होंने भारत के बारे में सोचा ही नहीं होगा कभी, सोचते भी कैसे.... वैसे भारत के बीसीसीआई को इतना अमीर बनाने में हम सभी का योगदान है, इसके इतने पॉपुलर होने से बाकी खेल लगभग बर्बादी की कगार पर हैं, आज खुद ही देखिये....

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